भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

न्यू इंडिया है ये / जय चक्रवर्ती

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:43, 29 अक्टूबर 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=जय चक्रवर्ती |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

एक हाथ मे बाइक दूजे मे
मोबाइल है
न्यू इंडिया है, ये इसका-
‘लाइफ-स्टाइल’ है

नहीं ‘फेस-टू-फेस’ कहीं
मिलता कोई अपना
फॉलो होता सिर्फ
फेसबुक पर हरेक सपना
‘मेल’ और ;मैसेज़’ मे सिमटे
सब रिश्ते-नाते –
आभासी–चेहरों पर
 ‘आभासी स्माइल’ है

टीवी की आँखों मे
बसने की लेकर आशा
सीख रही पीढ़ी
संस्कारों की नूतन भाषा
‘हेलो’ ‘हाय’ ‘टाटा’
‘ओके वाली ‘मेमोरी’ से-
हुई ‘डिलीट’
प्रणाम-नमस्ते वाली ‘फ़ाइल‘ है

चढ़ा मीडिया के कंधों
बाज़ार शिकारी है
शयन-कक्ष से पूजाघर तक
इसकी यारी है
गाँव-शहर ‘मॉडर्न’ हुए
सब बदल गए चेहरे-
जो जितना लक़दक़
उतनी ऊँची ‘प्रोफ़ाइल‘ है