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दीपोत्सव / कविता पनिया

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कौनसा दीपक खरीदूँ
जो हो जाए रोशन
आँधी तुम बीच में न आना
मेरा संघर्ष अंधकार से है
तुम पवन बन बस प्राण देना
इसमें जलने वाली बाती
उसी खेत में उगे कपास की है
जिस मिट्टी से यह बना है
बीज ने अपना संपूर्ण जीवन देकर
इसे स्नेह से भरा है
त्याग और श्रम का प्रतीक दीपक
रोशनी का सहचर है