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राग-विराग : आठ / इंदुशेखर तत्पुरुष

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तुम !
इतनी ही जिद्दी
हो, तो लो, दिखाओ
पूरी करके अपनी जिद
मेरे सपनों में आना छेड़ दो।

तुम !
इतने बेशर्म हो कि,
आने के सारे रास्ते
बंद कर दिए तो भी
पलक झपकते ही
आ धमकते
पलकों के भीतर।