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सोचती हूँ अघोरी बन जाऊँ / वंदना गुप्ता

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सोचती हूँ अघोरी बन जाऊँ
और अपने मन के शमशान में
कील दूँ तुम्हें
तुम्हारी यादों को
तुम्हारे वजूद को
अपनी मोहब्बत के
सिद्ध किये मन्त्रों से

सुना है मन्त्रों में बहुत शक्ति होती है
और आत्मायें
जो कीली जाती हैं
वचनबद्ध होती हैं
मन्त्रों की लक्ष्मण रेखा में
बँधे रहने को

क्योंकि
मोहब्बत की शमशानी खामोशी में गूँजते
मन्त्रोच्चार के भी अपने कायदे होते हैं