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सेमलों-से भाई औ / नईम

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सेमलों-से भाई औ
कचनार-सी भौजाइयों के,
खो गए संदर्भ
बौराई हुई अमराइयों के।

बचे
ले-देकर हमी-हम
फागुनी आकाश सूने,
त्रासदी अपने दिनों की
रिक्तताओं के नमूने;

खोजता हूँ अर्थ संगत
इन नई तनहाइयों के।

विगत से
उकताए ऊबे
अनागत से अनमने हम,
विसंगतियों के समुच्चय
जं़ग खाये झुनझुने हम;

आज पैमाने हुए
अंधे कुएँ गहराइयों के।

मसख़री के मिस
उलीचें
धूल-कीचड़ पीठ पीछे,
पाँव पोंछे आदमी से,
बचाकर रखते गलीचे।

छुपाते हैं पेट अपने
बेवजह क्यों दाइयों से?