भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
छठॉ-सर्ग / सिद्धो-कान्हू / प्रदीप प्रभात
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:11, 18 मई 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKPageNavigation |सारणी=अमर शहीद सिदो-कान्हू / प्रदीप प्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
छठॉ-सर्ग
हूल दमन के बाद
- - - - - - - - -
सिद्धो-कान्हू के फॉसी पड़तै,
मार्शल लॉ स्थगित।
अंग्रेजोॅ नेॅ संतालोॅ केॅ बोलाय,
प्रस्ताव समझौता भेजी।
संतालोॅ के नामोॅ पर,
संताल परगना जिला बनाबै।
संताल परगना काश्तकारी नियम अर्न्तगत,
जमीन के खरीद-बिक्री बंद कराबै।
ई धरती के लोग नमन करै छै,
सिद्धो-कान्हू केॅ सौ-सौ बार।
फूट-फाट के अंत करि केॅ,
संताली समुदाय।
दिल दुश्मन के दहलाबै लेॅ,
दै छै नगाड़ा-ढोल बजाय।
बिगुल बाजलोॅ रहै हूल के,
वही समय मेॅ जानी लेॅ।
स्वतंत्रता आन्दोलन छेलै,
आजादी केॅ मानी लेॅ।
विश्वविद्यालय सिद्धो-कान्हू मुर्मू दुमका,
अमर शहीदों के नाम सजाबै आपनोॅ भाल
संताल परगना के चौक-चौबटिया,
मूर्ति हिनकोॅ छै मिसाल।