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दिल को तो लूट लिया करते हैं / प्रेमघन
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दिल को तो लूट लिया करते हैं,
मुझको बेचैन किया करते हैं।
क्या तरीका यह निकाला है नया,
जान दे-दे के लिया करते हैं।
शाम से सुबह शवो रोज़ मुदाम,
दम ही धागे में रहा करते हैं।
हम भी उम्मीद में तसकीं करके,
जिन्दगी अपनी फना करते हैं।
खा के गम पीके जिगर के खूँ को
...ख्वाब कहा करते हैं।
बादये वस्ल की उम्मेद में हम,
शाम से सुबह जपा करते हैं।
शिकवये कत्ल किया जब मैंने,
हँस के बोले कि बजा करते हैं।
झिड़कियाँ खा के याद की ऐ अब्र,
गालियाँ रोज सुना करते हैं॥5॥