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कजली / 3 / प्रेमघन

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॥नटिनो की लय॥

बन बन गाय चरावत घूमो! ओढ़े कारी कमरी।
तुम का जानो रस की बतियाँ? हौ बालक रगरी॥
बेईमान! दान कस माँगत गहि बहिंयाँ हमरी?
सीखौ प्रेम प्रेमघन! अबहीं, छोड़! मोरी डगरी॥7॥

॥दूसरी॥

नैना पापी मानैं नाहीं प्यारे! ये काहू की बात।
लाख भाँति समझाय थके हम करि-करि सौ सौ घात॥
चलत छाँड़ि कुल गैल बनै बिगरैल नहीं सकुचात।
छके प्रेममद मस्त प्रेमघन तकत यार दिन रात॥8॥