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कजली / 16 / प्रेमघन

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विकृत लय

मैना मैना रे मैना-की चाल

जाऊँ तोरे संग मुरारी-मैना! मैना! रे मैना!॥टे।॥
मैना! मानूँ बात तिहारी-मैना! मैना! रे मैना!
मैना! जाऊँ घरवाँ मारी-मैना-मैना! मैना! रे मैना!
मैना! जाऊँ तोपैं वारी-मैना! मैना! रे मैना!
मैना! करिहों तोसे यारी-मैना! मैना! रे मैना!
मैना! निरी प्रेमघन बारी-मैना! मैना! रे मैना!
मैना! ब्याही तेरी नारी-मैना! मैना! रे मैना॥32॥

॥दूसरी॥

मैना सुनिहौं गाली, बोलो बात सँभालो रे मैना।
मैना तेरी तरह कुचाली, सुन बनमाली रे मैना॥
मैना! तेरे घर की पाली, सरहज साली रे मैना!।
मैना! लैवँ कान की बाली, झूमकवाली रे मैना!॥
मैना! ऐसी भोली भाली, रीझूँ हाली रे मैना!।
मैना! प्रेम प्रेमघन घाली बैठी खाली रे मैना!॥33॥