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कजली / 67 / प्रेमघन
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उर्दू भाषा
बारिश के दिन आए, प्यारे प्यारे।
उमड़ चलीं नदियाँ औ नाले, झील सबी उतराये प्यारे प्यारे।
हुई जमीं सर-सब्ज खूब रंग-रंग के फूल खिलाये प्यारे प्रूारे॥
खुश-इलहानी से हैं पपीहे, कैसा शोर मचाये प्यारे प्यारे।
मस्त हुए ताऊस नाचते हैं, पर को फैलाये प्यारे प्यारे॥
रंगि-हिना दस्तो पा में हैं, गुलरूओं ने लगाये प्यारे प्यारे।
झूल रहे हैं झूले, बाले जुल्फ़ों से उल्झाये प्यारे प्यारे॥
हरी भरी बेलों को हैं अशजार सबी लिपटाये प्यारे प्यारे।
बाराने रहमत हैं बरसते "अब्र" चारसू छाये प्यारे प्यारे॥114॥