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नेकी की खुशबू / उषा यादव

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फूलों में खुशबू होती है,
लगते कितने प्यारे।
जी चाहे झोली में भर लूँ।
वे सारे के सारे।

अमरूदों की खुशबू का भी
ढम-ढम बजता बाजा।
अव्वल आकर आम बना है
किन्तु फलों का राजा।

चन्दन की भीनी –सी खुशबू
सचमुच बड़ी निराली।
मन करता मैं उसको घिसकर
भर लूँ पूरी प्याली।

मेरा नन्हा –मुन्ना भइया
मुझको बहुत दुलारा।
उसको सूँघूँ तो लगता है
खुशबू का फव्वारा।
पर जो खुशबू सबसे अनुपम
सारा जग महकाती।
वह नेकी की खुशबू, उसको
दुनिया शीश नवाती।