भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बाल्य विवाह / प्रेमघन

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 07:56, 23 मई 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन' |अनुवा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

प्रधान प्रकार का पंचम विभेद
स्थानिक ग्राम्य स्त्री भाषा

भौंरा चकई बहाय, गुल्ली डण्डा बिसराय,
तनी नाचः इतराय, मोरे बारे बलँमू।
करिहैंयवां हिलाय, औ भँउहँ मटकाय,
ताली दै कै चमकाय, मोरे बारे बलँमू।
खोंड़ी दँतुली दिखाय, तनी-तनी तुतराय,
गाय सोहर सुनाय मोरे बारे बलँमू।
आवः यहर नगिचाय, घँघरी देई पहिराय,
सुन्दर ओढ़नी ओढ़ाय, मोरे बारे बलँमू।
नैना काजर सुहाय, देई सेंदुर पहिराय
माथे टिकुली लगाय, मोरे बारे बलँमू।
नई दुलही बनाय, गोदी तोहके उठाय,
मुँह चूमब खेलाय, मोरे बारे बलँभू।
पावै पावौं न उठाय छाती, बाल पिय पाय,
गोरी कहतौ सरमाय-मोरे बारे बलँमू।
प्रेमघन अकुलाय, रस बिना बिलखाय,
कहै खिल्ली-सी उड़ाय, मोरे बारे बलँमू॥138॥