भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आओ, हम पथ से हट जाएँ / हरिवंशराय बच्चन

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


आओ, हम पथ से हट जाएँ!


युवती और युवक मदमाते,

उत्‍सव आज मनाने आते,

लिए नयन में स्‍वप्‍न, वचन में हर्ष, हृदय में अभिलाषाएँ!

आओ, हम पथ से हट जाएँ!


इनकी इन मधुमय घड़‍ि‍यों में,

हास-लास की फुलझड़‍ियों में,

हम न अमंगल शब्‍द निकालें, हम न अमंगल अश्रु बहाएँ!

आओ, हम पथ से हट जाएँ!


यदि‍ इनका सुख सपना टूटे,

काल इन्‍हें भी हम-सा लूटे,

धैर्य बंधाएँ इनके उर को हम पथिको की करुण कथाएँ!

आओ, हम पथ से हट जाएँ!