भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
देवी गीत 4 / रामरक्षा मिश्र विमल
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:50, 4 अगस्त 2018 का अवतरण (Sharda suman ने देवी गीत 4 / रामरक्षा मिश्र 'विमल' पृष्ठ देवी गीत 4 / रामरक्षा मिश्र विमल पर स्थानांतरित क...)
ए देवी मइया बढ़ावऽ चरनवा.
ताकींले सगरी डगरिया चिहुँकि के
देखीं ना तोहके त रोईं डहकि के
भरि आवे अँखियन में भादो सवनवा.
अइबू त सधिया ना फूला समाई
खुशी के नया जोति अँखियन में आई
बहि जाई जिनिगी में सुख के पवनवा.
तोहरे चरनिया के आसा में सर बा
नेहिया के अमिरित पियासल अधर बा
गमकइहऽ एक दिन विमल के अङनवा.