Last modified on 2 सितम्बर 2018, at 22:27

सत्ताईस / प्रबोधिनी / परमेश्वरी सिंह 'अनपढ़'

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:27, 2 सितम्बर 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=परमेश्वरी सिंह 'अनपढ़' |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

जीवन में साथी बहुत मिले, पर मेरे साथी रहे नहीं
सब अपने-अपने रंगों के
भावों के और उमंगों के
कोई ऊपर कोई नीचे, मुझसा धारों में बहे नहीं
मतलब के कितने मीत मिले
कितने क़िस्मों के गीत मिले
धुन के मतबाले बहुत मिले, पर मेरे धुन के रहे नहीं
है जहर घुला मेरी वाणी
मीरा न मिली जो कहे पानी
सीने वाले बहुत मिले पर पीने वाले रहे नहीं
सब अपने यथार्थ के साथ चले
कोई भले मिले, कोई बुरे मिले
मैं सबको दिल में जगह दिया, पर दिल से कोई मिले नहीं