भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हम तुम / चंद ताज़ा गुलाब तेरे नाम / शेरजंग गर्ग
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:38, 4 सितम्बर 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= |अनुवादक= |संग्रह= }} <poem> दुनिया चलती...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
दुनिया चलती है अपने रस्तों पर
और खामोश से खड़े हम तुम
देखते एक दूसरे की तरफ़
मानो मुद्दत से हों युँ ही गुम सुम।