भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
चाक गीत / 2 / राजस्थानी
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:12, 7 सितम्बर 2018 का अवतरण ('{{KKLokRachna |भाषा=राजस्थानी |रचनाकार= |संग्रह= }} {{KKCatRajasthaniRachna}} <poe...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
राजस्थानी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
उठो बहू... जी की राण्यां करो थे सिणगार हे।
बरज्या राजन न रेवे बीरो बाई नणदल को।।
उठो बहू... जी की राण्यां करो थे सिणगार हे।
बरज्या राजन न रेवे बीरो बाई नणदल को।।
उठो बहू... जी की राण्यां करो थे सिणगार हे।
बरज्या राजन न रेवे बीरा बई ज्ञानवती को।।
उठो बहू... जी की राण्यां करो थे सिणगार हे।
बरज्या राजन ने रेवे बीरो बाई शान्ति को।।
उठो बहू... जी की राण्यां करो थे सिणगार हे।
बरज्या राजन न रेवे बीरो बाई नणदल को।।