भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कमलक फूल सन हमर धीया छथि / मैथिली लोकगीत
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:36, 20 सितम्बर 2018 का अवतरण
मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
कमलक फूल सन हमर धीया छथि
जोहि लेली धीया के खबास यो
चलहु के बेर अहाँ घर नहि देखलौं
धीया आगू दीया केर नहि काज यो
आनि दीअ जहर माहुर खाय हम मरबई
हति लेब अपन प्राण यौ