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बरैं अंधरू पड़उनू चबांय माई जी / जगदीश पीयूष

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बरैं अंधरू पड़उनू चबांय माई जी।

पइसा आवा सरकारी।
पुला बनै कै तयारी॥

होय हेरा फेरी जाने ना खोदाय माई जी।
बरै अंधरू पड़उनू चबांय माई जी।

आई एमेले कै निधि।
खाइ लेइ कौन बिधि॥

गवा अपनौ निमरुआ मोटाय माई जी।
बरैं अंधरू पड़उनू चबांय माई जी।

होय अन्न कै खरीद।
घाल मेल कै रसीद॥

मिलि बांटि बांटि खांय डेकरांय माई जी।
बरैं अंधरू पड़उनू चबांय माई जी।

आवे जब जब धन।
बनि जाय करधन॥

गोरी पतली कमरिया पिराय माई जी।
बरैं अंधरू पड़उनू चबांय माई जी।