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दगाबाज दुनिया है सबै कुछु रुपइया / भारतेन्दु मिश्र

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दगाबाज दुनिया है सबै कुछु रुपइया
तरफराति पिंजरा है काठ कै चिरइया।

कबौ लोनु रोटी है
बसि फटही धोती है

आँखिन-मा बूड़े हैं सुर्ज औ जोन्हइया।

हम करजा ढोइति है
मूडु पकरि रोइति है

जइसे सब मरिगे हैं बाप अउरु मइया।

किसमत सबु गोड़ि चुकी
लोटिया लौ बूड़ि चुकी

अब बूड़े वाली है स्वाँसा कै नइया।