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कभी मत छेड़ वो बातें वो मंजर याद आता है / मृदुला झा
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कभी मिलते थे हम दोनों सुखनवर याद आता है।
तुम्हारी बेवफाई तो हमें बस टीस देती हैए
तुम्हारे खौफ का गहरा समुंदर याद आता है।
तुम्हीं बोलो कहाँ जायें न दिखता है कोई अपनाए
जिधर नजरें फिराता हूँ वो अक्सर याद आता है।
अभी मिल्लत से रहना ही जमाने का तकाजा हैए
शबे.ग़म को भुलाने का ही अवसर याद आता है।
वफ़ा करके भी मिलती है नहीं सबको वफ़ा जग मेंए
मुहब्बत से भरा बचपन का वो घर याद आता है।