भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
आओ मिल कर बात करें हम / मृदुला झा
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:57, 30 अप्रैल 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मृदुला झा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatGhazal...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
दिन को यूँ मत रात करें हम।
मीठी वाणी बोलें सबसे,
क्यों कोई आघात करें हम।
भूल के पिछले अवसादों को,
खुशियों की बरसात करें हम।
मंदिर मस्जिद मुरुद्वारे जा,
दीनों में ख़ैरात करें हम।
शीतल पानी मीठे फल से,
दुखियों की ख़िदमात करें हम।