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अंग-अंग पर अनंग के राज / जयराम दरवेशपुरी
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हउले-हउले हावा गुनगुना हइ फाग राग रे
सुख के सौगात लेले अइलइ रितुराज रे
पंचम सुर में तितली गावे हरियर चुह-चुह बाग में
मदमातल भौरन बइठल हे फूलल फूल पराग में
उतरल बगिया में बहुरंगी इंद्रधनुष साज रे
सूआपंखी चुनरी पेन्हली धरती बनल बिहउती
आम महुइया लथरल-लथरल अनमन जस परसउती
भोर किरिनियाँ हुलसल हुलकत अँखिया भरल बिहाग रे
लदबुद रहरी खंधा नाचे तीसी आउ मसुरिया
बूंट केरइया गदरइलइ गन लटकल लाम छिमरिया
रसे-रसे रस के फुहार बरस रहल हे आज रे
पीऊ-पीऊ पपिहा के रसगर नीक लगऽ हे बोलिया
परदेसी साजन के जइसे लगइ नीक ठिठोलिया
बेसुध तन के अंग-अंग पर जस अनंग के राज रे