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चलऽ ने बधरिया / जयराम दरवेशपुरी

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छोड़ि के सेजरिया
चलऽ ने बधरिया
बासी-कुसी कुच्छो लिहा बान्ह
हे धानी होई गेलो सगरो बिहान

बइठ के छपरिया पर
डकऽ हको कउआ
गोदिया में लइ लिहा
कानइत उठल बउआ
चह-चह चहकइ बगान

लोहरा तर चमचम
हँसुआ पिजइलअइ
कटनी के असरा में
खूब इतरइलिअइ
चलऽ काटे लगवे पतान

सूखत पतनियाँ तऽ
अंटिअउनी होतइ
बोझे-बोझे खरहानी
धनमां ढोबइतइ
धमकउआ चूड़ा के कुटान

धन्य-धन्य मगह
अउ धन्य अगहनमां
मटिये में छितरल
कुबेर खजनमां
मेहनत के उड़ऽ हइ निशान।