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फेरीवाला / मुकेश निर्विकार

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फेरीवाले को
तो/बेचने हैं खिलौने
भरी दुपहरी में भी
जुटाना है उसे
शाम तक
सेरभर आटा


और आधपाव दाल
किसी भी तरह,
मगर,
भीख मांगे बिना
चोरी किए बिना।

करना चाहता है वह
हासिल इन्हें
अपनी नेकनीयत और
पुरुषार्थ के बल पर!

इस घोर कलियुग में
जबकि
लूट ही बनता जा रहा है
युग-धर्म
ऐसे में
अटल है उसकी निष्ठा
स्तुत्य है उसका प्रयास।