Last modified on 28 जुलाई 2019, at 21:50

मौत बेचे दिन महीना आजकल / ईश्वर करुण

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:50, 28 जुलाई 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ईश्वर करुण |अनुवादक= |संग्रह=पंक्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मौत बेचे दिन-महीना आजकल
हो गया मुश्किल है जीना आजकल

धन उगाही हो रही पिश्तौल से
व्यर्थ इंसाँ का पसीना आजकल

रहबरी आतंक की है मातहत
लाज को है घोल पीना आजकल

दोस्ती और दुश्मनी में फर्क था
अब तो ये रिश्ता भी झीना आजकल

चील थी बदनाम ‘ईश्वर’ कल तलक
उसका हक हमने है छीना आजकल