भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अगन-पंछी / मौरिस करेम / अनिल जनविजय
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:13, 22 मार्च 2020 का अवतरण
कुम्हार के
चक्के पर बैठकर तुमने
ज़ोर-ज़ोर से चक्के को घुमाया
और मेरे
दिल की राख से
घड़ा एक छोटा-सा बनाया
और चमकने लगा
उसमें से
अगन-पंछी एक !
रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय