भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

फूल-1 / वेणु गोपाल

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:38, 7 सितम्बर 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वेणु गोपाल |संग्रह=चट्टानों का जलगीत / वेणु गोपाल }} फूल...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

फूल

इन्तज़ार करता है

एक अदद हाथ का

मंच पे आने के बाद


लेकिन

अक्सर

परदा

उठने से

पहले ही


पसीने और मिट्टी में

लथपथ होकर

हाथ


सब-कुछ भूल चुका

होता है

फूल के बाबत।


(रचनाकाल : 23.05.1979)