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घर अकेला हो गया / मुनव्वर राना
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घर अकेला हो गया
रचनाकार | मुनव्वर राना |
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प्रकाशक | |
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भाषा | हिन्दी |
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विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- लिपट जाता हूँ माँ से और मौसी मुस्कुराती है / मुनव्वर राना
- महब्बत करने वालों में ये झगड़ा डाल देती है / मुनव्वर राना
- दुनिया तेरी रौनक़ से मैं अब ऊब रहा हूँ / मुनव्वर राना
- जब भी कश्ती मेरी सैलाब में आ जाती है/ मुनव्वर राना
- बुलन्दी देर तक किस शख़्स के हिस्से में रहती है / मुनव्वर राना
- मेरी ख़्वाहिश है कि फिर से मैं फ़रिश्ता हो जाऊँ / मुनव्वर राना
- न मैं कंघी बनाता हूँ न मैं चोटी बनाता हूँ / मुनव्वर राना
- हमारा तीर कुछ भी हो निशाने तक पहुँचता है / मुनव्वर राना
- हर इक आवाज़ अब उर्दू को फ़रियादी बताती है / मुनव्वर राना
- बहुत पानी बरसता है तो मिट्टी बैठ जाती है / मुनव्वर राना
- भरोसा मत करो साँसों की डोरी टूट जाती है / मुनव्वर राना
- हमारी ज़िन्दगी का इस तरह हर साल कटता है / मुनव्वर राना
- घरौंदे तोड़ कर साहिल से यूँ पानी पलटता है / मुनव्वर राना
- समझौतों की भीड़-भाड़ में सबसे रिश्ता टूट गया / मुनव्वर राना
- अगर दौलत से ही सब क़द का अंदाज़ा लगाते हैं / मुनव्वर राना
- वो ज़ालिम मेरी हर ख़्वाहिश ये कहकर टाल जाता है / मुनव्वर राना
- सियासी आदमी की शक्ल तो प्यारी निकलती है / मुनव्वर राना
- किसी भी चेहरे को देखो गुलाल होता है / मुनव्वर राना
- नींद अपने आप दीवाने तलक तो आ गई / मुनव्वर राना
- कोयल बोले या गौरैया अच्छा लगता है / मुनव्वर राना
- तितली ने गुल को चूम के दुल्हन बस्ना दिया / मुनव्वर राना
- ऐन ख़्वाहिश के मुताबिक़ सब उसी को मिल गया / मुनव्वर राना
- यह एहतेराम तो करना ज़रूर पड़ता है / मुनव्वर राना
- यह मत समझ कि अर्श-ए-मुअल्ला उसी का है / मुनव्वर राना
- कहाँ रोना है मुझको दीदा-ए-पुरनम समझता है / मुनव्वर राना
- बिछड़ा कहाँ है भाई हमारा सफ़र में है / मुनव्वर राना
- हम सायादार पेड़ ज़माने के काम आये / मुनव्वर राना
- जब कभी धूप की शिद्दत ने सताया मुझको / मुनव्वर राना
- इश्क़ में राय बुज़ुर्गों से नही ली जाती / मुनव्वर राना
- बाज़ारी पेटी कोट की सूरत हूँ इन दिनों / मुनव्वर राना
- हमारी बेबसी देखो उन्हें हमदर्द कहते हैं / मुनव्वर राना
- मियाँ रुसवाई दौलत के तआवुन से नहीं जाती / मुनव्वर राना
- मुझको हर हाल में बख़्शेगा उजाला अपना / मुनव्वर राना
- मुख़ालिफ़ सफ़ भी ख़ुश होती है लोहा मान लेती है / मुनव्वर राना
- दामन को आँसुओं से शराबोर कर दिया / मुनव्वर राना
- तू कभी देख तो रोते हुए आकर मुझको / मुनव्वर राना
- रोने में एक ख़तरा है तालाब नदी हो जाते हैं / मुनव्वर राना
- मर्ज़ी-ए-मौला मौला जाने / मुनव्वर राना
- इस पेड़ में एक बार तो आ जायें समर भी / मुनव्वर राना
- हाँ इजाज़त है अगर कोई कहानी और है / मुनव्वर राना
- कुछ मेरी वफ़ादारी का इनआम दिया जाए / मुनव्वर राना
- गले मिलने को आपस में दुआएँ रोज़ आती हैं / मुनव्वर राना