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खूब खाया गया शौचालयों के ठेके में / डी. एम. मिश्र

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खूब खाया गया शौचालयों के ठेके में
मेरे परधान ने रक्खा मुझे अँधेरे में

आइये देखिये इज़्ज़तघरों की सच्चाई
लोग लोटा लिए दौड़ें अभी भी खुल्ले में

बी डी ओ, सी डी ओ की जाँच से क्या हासिल हो
कौन है जो नहीं संलिप्त गोरखधंधे में

और दफ़्तर का वो बाबू तो दरहरामी है
मेरा दसख़त किया पुरजा है उसके क़ब्ज़े में

क्या कभी घूस कमीशन का ख़ात्मा होगा
मैंने देखा है यही हर किसी महकमे में

हर तरफ़ बह रही है भ्रष्ट नदी कचरे की
कौन बच पायेगा बेदाग़़ भला ऐसे में

जिसको भी देखिये लालच में यहाँ अंधा है
आप ही ढूँढिये ईमान किसी बंदे में