Last modified on 27 अप्रैल 2023, at 20:26

इंतज़ार / रुचि बहुगुणा उनियाल

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:26, 27 अप्रैल 2023 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रुचि बहुगुणा उनियाल |अनुवादक= |सं...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

तुम आओ तो चप्पलें उतार के
अपने पैरों को पोछ लेना
तुम्हारे जाने के बाद से ही
समय ठहरा हुआ है...
तलुवों से समय की पीठ सहलाना
पायदान पर ही बैठ गया था
उकड़ूं हो कर इंतज़ार में तुम्हारे!