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माथा चूमने पर / मरीना स्विताएवा
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माथा चूमने पर
मिट जाती हैं सब चिन्ताएँ-
मैं माथा चूमती हूँ ।
आँखें चूमने पर
दूर हो जाता है निद्रा-रोग-
मैं आँखें चूमती हूँ ।
होंठ चूमने पर
बुझ जाती है प्यास-
मैं होंठ चूमती हूँ ।
माथा चूमने पर
मिट जाती हैं आहें-
मैं माथा चूमती हूँ ।
रचनाकाल : 5 जून 1917
मूल रूसी भाषा से अनुवाद : वरयाम सिंह