भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दो दुश्मन / मरीना स्विताएवा

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:54, 29 नवम्बर 2008 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मरीना स्विताएवा |संग्रह=आएंगे दिन कविताओं के / म...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पैदा हुई है आत्मा यदि पंखों के साथ
महलों और झोपड़ियों से उसे क्या मतलब !
उसे क्या मतलब चंगेज़ खाँ और उसकी फ़ौज से !

दो हैं दुश्मन मेरे इस दुनिया में
दो जुड़वाँ बहनें कभी न जुदा होनेवाली-
भूखों की भूख और तृप्ति तृप्तों की ।

रचनाकाल : 18 अगस्त 1918

मूल रूसी भाषा से अनुवाद : वरयाम सिंह