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आस होगी न आसरा होगा / बशीर बद्र

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आस होगी न आसरा होगा
आने वाले दिनों में क्या होगा

मैं तुझे भूल जाऊँगा इक दिन
वक़्त सब कुछ बदल चुका होगा

नाम हम ने लिखा था आँखों में
आंसूओं ने मिटा दिया होगा

आसमाँ भर गया परिंदों से
पेड़ कोई हरा गिरा होगा

कितना दुश्वार था सफ़र उस का
वो सर-ए-शाम सो गया होगा

दुश्वार = कठिन ; सर-ए-शाम = शाम होते ही