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जब किसी से कोई गिला रखना / निदा फ़ाज़ली
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Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:00, 18 अक्टूबर 2006 का अवतरण
शायर: निदा फ़ाज़ली
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जब किसी से कोई गिला रखना
सामने अपने आईना रखना
यूँ उजालों से वास्ता रखना
शम्मा के पास ही हवा रखना
घर की तामीर चाहे जैसी हो
इस में रोने की जगह रखना
मस्जिदें हैं नमाज़ियों के लिये
अपने घर में कहीं ख़ुदा रखना
मिलना जुलना जहाँ ज़रूरी हो
मिलने-जुलने का हौसला रखना