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परवीन शाकिर
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परवीन शाकिर की रचनाएँ
परवीन शाकिर
जन्म | 24 नवम्बर 1952 |
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निधन | 26 दिसम्बर 1994 |
जन्म स्थान | कराची, पाकिस्तान |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
खुशबू, सद-बर्ग, ख़ुद-कलामी, इन्कार, माहे-तमाम | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
परवीन शाकिर / परिचय |
- खुली आंखों में सपना / परवीन शाकिर
- ज़िद / परवीन शाकिर
- बारिश / परवीन शाकिर
- ज़िन्दा रहने की ख़्वाहिश / परवीन शाकिर
- चिड़िया / परवीन शाकिर
- कायनात के ख़ालिक / परवीन शाकिर
- टूटी है मेरी नींद / परवीन शाकिर
- शाम आयी तेरी यादों के / परवीन शाकिर
- दिल पे एक तरफ़ा क़यामत करना / परवीन शाकिर
- अहले-ए-दिल और भी हैं / परवीन शाकिर
- बाद मुद्दत उसे देखा / परवीन शाकिर
- चेहरा मेरा था निगाहें उस की / परवीन शाकिर
- प्यार / परवीन शाकिर
- गुमान / परवीन शाकिर
- तेरी ख़ुश्बू का पता करती है / परवीन शाकिर
- बारिश हुई तो / परवीन शाकिर
- खुली आँखों में / परवीन शाकिर
- पूरा दुख और आधा चाँद / परवीन शाकिर
- उसने फूल भेजे हैं / परवीन शाकिर
- उलझन / परवीन शाकिर
- उसी तरह से हर इक ज़ख़्म ख़ुशनुमा देखे/ परवीन शाकिर
- उस वक़्त / परवीन शाकिर
- उसके मसीहा के लिए / परवीन शाकिर
- एक मंज़र / परवीन शाकिर
- एक पैग़ाम / परवीन शाकिर
- एक दफ़नाई हुई आवाज़ / परवीन शाकिर
- तुम्हारी ज़िन्दगी में / परवीन शाकिर
- यासिर अराफ़ात के लिए / परवीन शाकिर
- वह बाग़ में मेरा मुंतज़िर था / परवीन शाकिरो
- अपनी रुसवाई तेरे नाम / परवीन शाकिर
- बादबाँ खुलने से पहले का / परवीन शाकिर
- दश्त-ए-शब पर दिखाई क्या देंगी / परवीन शाकिर
- दिल का क्या है वो तो चाहेगा / परवीन शाकिर
- हमारे दरमियाँ / परवीन शाकिर
- इसी में ख़ुश हूँ / परवीन शाकिर
- जुस्तजू खोये हुओं की / परवीन शाकिर
- करिया-ए-जाँ में कोई फूल खिलाने आये / परवीन शाकिर
- खुलेगी इस नज़र पे / परवीन शाकिर
- ख़ुश्बू है वो तो / परवीन शाकिर
- कुछ फ़ैसला तो हो / परवीन शाकिर
- कुछ ख़बर लायी तो है बादे-बहारी उसकी/परवीन शाकिर
- कुछ तो हवा भी सर्द थी / परवीन शाकिर
- कू-ब-कू फैल गई बात / परवीन शाकिर
- मंज़र है वही ठठक रही हूँ / परवीन शाकिर
- मुश्किल है अब शहर में / परवीन शाकिर
- रुकने का समय गुज़र गया है / परवीन शाकिर
- सुंदर कोमल सपनों की बारात / परवीन शाकिर
- सब्ज़ मद्धम रोशनी में / परवीन शाकिर
- वो तो ख़ुशबू है / परवीन शाकिर
- वो कैसी कहां की ज़िन्दगी थी/ परवीन शाकिर
- तुझसे तो कोई गिला नहीं है/ परवीन शाकिर
- बदन तक मौजे-ख़्वाब आनेको है फ़िर/ परवीन शाकिर
- पिरो दिये मेरे आंसू हवा ने शाख़ों में/ परवीन शाकिर
- तितली के परों को कभी छिलते नहीं देखा / परवीन शाकिर