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सब्जी-मण्डी / रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’
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देखो-देखो सब्ज़ी-मण्डी,
बिकते आलू,बैंगन,भिण्डी ।
कच्चे केले, पक्के केले,
मटर, टमाटर के हैं ठेले ।
गोभी,पालक,मिर्च हरी है,
धनिये से टोकरी भरी है ।
लौकी, तोरी और परबल हैं,
पीले-पीले सीताफल हैं ।
अचरज में है जनता सारी,
सब्जी-मण्डी कितनी प्यारी।