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रंग-बिरंगी तितली आई / रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’

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तितली आई ! तितली आई !!
रंग-बिरंगी, तितली आई ।।

कितने सुन्दर पंख तुम्हारे ।
आँखों को लगते हैं प्यारे ।।

फूलों पर ख़ुश हो मँडलाती ।
अपनी धुन में हो इठलाती ।।

जब आती बरसात सुहानी ।
पुरवा चलती है मस्तानी ।।

तब तुम अपनी चाल दिखाती ।
लहरा कर उड़ती बलखाती ।।

पर जल्दी ही थक जाती हो ।
दीवारों पर सुस्ताती हो ।।

बच्चों के मन को भाती हो ।
इसीलिए पकड़ी जाती हो ।।