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लैपटॉप-2 / रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’

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सबके मन को जो भाता है ।
लैपटॉप वो कहलाता है ।।
  
सभी जगह इसको ले जाओ ।
बड़े मज़े से नेट चलाओ ।।

मनचाहे गानों को भर लो ।
दूर देश में बातें कर लो ।।

सारा कुछ तो लगा यहीं है ।
माउस का भी काम नही है ।।

इसमें ज्ञान समाया सारा ।
लैपटॉप लगता है प्यारा ।।