भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

वो फ़िराक़ और वो विसाल कहाँ / ग़ालिब

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:36, 3 मई 2007 का अवतरण (New page: रचनाकार: ग़ालिब Category:कविताएँ Category:गज़ल Category:ग़ालिब ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~* व...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

रचनाकार: ग़ालिब

~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*

वो फ़िराक़ और वो विसाल कहाँ
वो शब-ओ-रोज़-ओ-माह-ओ-साल कहाँ

फ़ुर्सत-ए-कारोबार-ए-शौक़ किसे
ज़ौक़-ए-नज़ारा-ए-जमाल कहाँ

दिल तो दिल वो दिमाग़ भी न रहा
शोर-ए-सौदा-ए-ख़त-ओ-ख़ाल कहाँ

थी वो इक शख्स के तसव्वुर से
अब वो रानाई-ए-ख़याल कहाँ

ऐसा आसाँ नहीं लहू रोना
दिल में ताक़त जिगर में हाल कहाँ

हमसे छूटा क़िमारख़ाना-ए-इश्क़
वाँ जो जायेँ गिरह में माल कहाँ

फ़िक्र-ए-दुनिया में सर खपाता हूँ
मैं कहाँ और ये वबाल कहाँ

मुज़महिल हो गये क़ुवा "ग़ालिब"
वो अनासिर में ऐतदाल कहाँ