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कुछ नहीं करता कोई / केदारनाथ अग्रवाल
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कुछ नहीं करता कोई
और करते सब हैं कुछ न कुछ
किए-न-किए के बराबर।
कुछ नहीं जीते कोई
और जीते सब हैं कुछ-न-कुछ
जिए-न-जिए के बराबर।
कुछ नहीं होते कोई
और होते सब हैं कुछ-न-कुछ
हुए-न-हुए के बराबर।
रचनाकाल: १३-१०-१९६८