भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पैटर्न / केदारनाथ अग्रवाल
Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:49, 17 अक्टूबर 2010 का अवतरण ("पैटर्न / केदारनाथ अग्रवाल" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite)))
‘पैटर्न’
वही है
पैसेवाला
ब्याह हो या चुनाव।
पैसे के
अभाव में
न ब्याह हुआ अच्छा
न चुनाव।
बड़ा बोलबाला है
पैसे ही पैसे का
घर और देश में।
पैसे पर टिका टिका
पैसे का प्रजातंत्र
जगह-जगह जीता है--
सिर धुनता
धुआँ-धुआँ पीता है।
रचनाकाल: १२-०२-१९७७