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अगन-पंछी / मौरिस करेम / अनिल जनविजय
Kavita Kosh से
कुम्हार के
चक्के पर बैठकर तुमने
ज़ोर-ज़ोर से चक्के को घुमाया
और मेरे
दिल की राख से
घड़ा एक छोटा-सा बनाया
और चमकने लगा
उसमें से
अगन-पंछी एक !
रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय