कान्ह चले बन को तब बाल को सास ने काज कहे घर ही के।
बेगही बेग तिन्हैं करिके जब जान लगी मिस कै ढिग पी के।
ताछन आइ गए रसलीन गहे जिव में अभिलाख जो जी के।
लाल लखें सुख होत है त्यों लखि लाल को आन भयो दुख ती के॥44॥
कान्ह चले बन को तब बाल को सास ने काज कहे घर ही के।
बेगही बेग तिन्हैं करिके जब जान लगी मिस कै ढिग पी के।
ताछन आइ गए रसलीन गहे जिव में अभिलाख जो जी के।
लाल लखें सुख होत है त्यों लखि लाल को आन भयो दुख ती के॥44॥