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मुदित-मन आरती करैं माता |
कनक-बसन-मनि वारि-वारि करि पुलक प्रफुल्लित गाता ||
पालागनि दुलहियन सिखावति सरिस सासु सत-साता |
देहिं असीस ते बरिस कोटि लगि अचल होउ अहिबाता ||
राम सीय-छबि देखि जुबतिजन करहिं परसपर बाता |
अब जान्यो साँचहू सुनहु, सखि! कोबिद बड़ो बिधाता ||
मङ्गल-गान निसान नगर-नभ आनँद कह्यो न जाता |
चिरजीवहु अवधेस-सुवन सब तुलसिदास-सुखदाता ||