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गीतावली सुन्दरकाण्ड पद 11 से 10 तक/पृष्ठ 6


(16)

हनुमान्जीका भगवान् रामके पास पहुँचना

राग बसन्त
रघुपति देखो आयो हनूमन्त | लङ्केस-नगर खेल्यो बसन्त ||
श्रीराम-काजहित सुदिन सोधि | साथी प्रबोधि लाँघ्यो पयोधि ||

सिय-पाँय पूजि, आसिषा पाइ | फल अमिय सरिस खायो अघाइ ||
कानन दलि, होरी रचि बनाइ | हठि तेल-बसन बालधि बँधाइ ||

लिए ढोल चले सँग लोग लागि | बरजोर दई चहुँ ओर आगि ||
आखत आहुति किये जातुधान | लखि लपट भभरि भागे बिमान ||

नभतल कौतुक, लङ्का बिलाप | परिनाम पचहिं पातकी पाप ||
हनुमान-हाँक सुनि बरषि फूल | सुर बार बार बरनहिं लँगूर ||

भरि भुवन सकल कल्यान-धूम | पुर जारि बारिनिधि बोरि लूम ||
जानकी तोषि पोषेउ प्रताप | जय पवन-सुवन दलि दुअन-दाप ||

नाचहिं-कूदहिं कपि करि बिनोद | पीवत मधु मधुबन मगन मोद ||
यों कहत लषन गहे पाँय आइ | मनि सहित मुदित भेण्ट्यो उठाइ ||

लगे सजन सेन, भयो हिय हुलास | जय जय जस गावत तुलसिदास ||