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गेट वे ऑफ़ इण्डिया / शरद कोकास
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शाम के साये कुछ गहराने लगे
गेट वे ऑफ इंडिया की परछाईं ने
अरब सागर की एक लहर को छुआ
और उस पर पूरी तरह छा गई
पाँच सितारा ताज की मरम्मत करते हुए
एक मज़दूर ने डूबते सूरज को सलाम किया
एक कबूतर ने मुंडेर से उड़ान भरी
और तुम्हारी जुल्फ हवा में लहराई
बस एक क्लिक की आवाज़ गूंजी
और तुम कै़द हो गई
मन के कैमरे में।
-2009