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ABHIE

10 जनवरी 2011

  • किताबें झाँकती हैं / गुलज़ार

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    15:32

    -10

27 दिसम्बर 2010

  • रात भर मुझको ग़म-ए-यार ने सोने न दिया/ ज़फ़र

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    18:17

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  • रात भर मुझको ग़म-ए-यार ने सोने न दिया/ ज़फ़र

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  • रात भर मुझको ग़म-ए-यार ने सोने न दिया/ ज़फ़र

    नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बहादुर शाह ज़फ़र |संग्रह= }} {{KKCatGhazal}} <poem> रात भर मुझक…

    18:14

  • लाई फिर इक लग़्ज़िशे-मस्ताना तेरे शहर में / कैफ़ी आज़मी

    no edit summary

    17:58

    -21

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