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{{KKRachna
|रचनाकार=सांवर दइया
|संग्रह=आखर री औकात / सांवर दइया
}}
[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]
{{KKCatKavita}}<poem>नूंवादी कोनी
अंधारो गोठ करै
उजास मरै
०००
बात है खास
काल हरख्या लोग
आज उदास
०००
सात सिलाम
करता बांनै, आज-
पूछै ई कोनी
०००
आभै री छत
कठै ई डर कोनी
हवा री भींतां
०००
बां रै तो मौज
आपां नै खावै भायां
आपणो धीजो
०००
</poem>
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|संग्रह=आखर री औकात / सांवर दइया
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[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]
{{KKCatKavita}}<poem>नूंवादी कोनी
अंधारो गोठ करै
उजास मरै
०००
बात है खास
काल हरख्या लोग
आज उदास
०००
सात सिलाम
करता बांनै, आज-
पूछै ई कोनी
०००
आभै री छत
कठै ई डर कोनी
हवा री भींतां
०००
बां रै तो मौज
आपां नै खावै भायां
आपणो धीजो
०००
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