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|रचनाकार=सांवर दइया
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[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]
{{KKCatKavita‎}}<poem>नूंवादी कोनी
अंधारो गोठ करै
उजास मरै
०००

बात है खास
काल हरख्या लोग
आज उदास
०००

सात सिलाम
करता बांनै, आज-
पूछै ई कोनी
०००

आभै री छत
कठै ई डर कोनी
हवा री भींतां
०००

बां रै तो मौज
आपां नै खावै भायां
आपणो धीजो
०००
</poem>
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